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Moral of the Story


We will always see people asking "What is the moral of the Story?"

If you have a moral of the story, that actually means you are ending the story. If the story ends then it is a DEAD STORY. Who cares for such a story which is dead?

A story should continue, it should always be in the present. If it was of the past it has no relevance today. If it is of future, then it is a mere imagination or a dream.

We should not end the story by having some stupid morals, but rather start living it, so that it continues.

                        "Don't have too much of Stories, rather make your own."

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हे राम !

 हे राम ! ना तुम बचें , ना सीता बची , ना लक्ष्मण , और ना हनुमान , ना लंका बची ना लंकेश , बस तेरे नाम पे आज सिर्फ़ दिवाली बची |  हे राम ! ना  प्रेम बचा , ना बचें झूठन बेर , ना अनुराग बचा , ना बचा वैराग , ना कोई त्याग , ना कोई साधना , ना कोई हठ , ना कोई पीड़ा , बस तेरे नाम पे आज सिर्फ़ दिवाली बची |  हे राम ! ना धर्म बचा , ना कोई वेद  , ना कोई भक्ति , ना कोई मुक्ति , ना साधू , ना संत , ना ज्ञानी , ना ज्ञान , बस तेरे नाम पे आज सिर्फ़ दिवाली बची |  हे राम ! ना शान्ति , ना आंनद , ना धैर्य बचा और ना कोई तपस्या , हे राम ! अब तेरे नाम पे कोई कर्म भी नहीं बचा , ना सत्य बचा और ना ही कोई खोज , बस तेरे नाम पे आज सिर्फ़ दिवाली बची |  जब कुछ नहीं बचा , हे राम ! अब तेरे नाम की यह दिवाली भी ना बचें || 

जंगल में पैदा हुए हैं , जंगल के पार जाना हैं |

जंगल में पैदा हुए हैं , जंगल के पार जाना हैं | बंदरों के बीच कूदते फांदते , गगन को छु जाना हैं |  मिट्टी का पुतला ले बैठें , उसे ऐसे तपाना हैं , माया के हर वार से , उसे कैसे बचाना हैं |  ऊचें ऊचें वृक्षों कि छाया , तमसा के समान हैं , तलाश हैं एक अखंड देव की , जिससे उसे जलाना हैं |  कुरुक्षेत्र कि युद्ध हम लड़ते , दुर्योधन को हराना हैं , जंगल में पैदा हुए हैं , बस एक सारथी का सहारा हैं | 
गुरु कौन हैं ? गुरु  उड़ान हैं,  मन की...... .       तृष्णा से कृष्णा की ओर       शंका से शंकर की ओर       काम से राम की ओर       भोग से योग की ओर       जड़ से चेतन की ओर       क्रोध से बोध की ओर       बेचैनी से चैन की ओर       शक्ति से शिव की ओर       समस्या से समाधान की ओर       झूट से सत्य की ओर       माया से आत्मा की ओर ||