वाह कैसी रे दुनिया,
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
राहो पे राह नहीं ,
साँसों में सांस नहीं ,
पेड़े पे पत्तियां नहीं ,
नदियों में पानी नहीं ,
वाह कैसी रे दुनिया ,
|
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
राहो पे राह नहीं ,
साँसों में सांस नहीं ,
पेड़े पे पत्तियां नहीं ,
नदियों में पानी नहीं ,
वाह कैसी रे दुनिया ,
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
चहक ने को चिड़िया नहीं ,
नाचने को मोर नहीं ,
गाने को कोयल नहीं ,
उड़ने को आकाश नहीं ,
वाह कैसी रे दुनिया,
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
धार्मिक में धर्म नहीं ,
पंडित में ज्ञान नहीं ,
साधु ने साधा नहीं ,
सच्च को जाना नहीं ,
वाह कैसी रे दुनिया ,
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
कपड़ो में गाँधी नहीं ,
कहानियों में राम नहीं ,
गानो में कबीर नहीं ,
खानों में शबरी नहीं ,
वाह कैसी रे दुनिया ,
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
बच्चों का बच्पन नहीं ,
जवानी को समय नहीं ,
बूढ़ो को घर नहीं ,
मरने को घाट नहीं ,
वाह कैसी रे दुनिया ,
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
नेताओं से उम्मीद नहीं ,
दवाईओं के पैसे नहीं ,
सच्चे लेख नहीं ,
गुरु की कोई सुनता नहीं ,
वाह कैसी रे दुनिया ,
जहाँ ताली वहाँ गाली ||
Nice
ReplyDeleteNice sir thoughts sir
ReplyDeleteTushar to Akhilraj
ReplyDeleteIts a bitter and healthy truth