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The Earth cannot afford even one more human being

Studies show that having fewer children is one of the most effective ways an individual can mitigate climate change. Choosing to have one less child prevents 58.6 tonnes of carbon emissions entering the atmosphere each year, according to a 2017 study. That’s like 25 Australians going car-free for the rest of their lives.

In fact, even if you do your bit to reduce emissions in your lifetime, such as riding a bike and using energy-saving lightbulbs, having two children means your “legacy” of carbon emissions could be 40 times greater than that saved through lifestyle changes.

But having one less child is not a quick fix for climate change. As research in 2014 pointed out, even one-child policies imposed worldwide, coupled with events causing catastrophic numbers of deaths, would still leave the world population at 5 billion–10 billion people by 2100 – enough to cause stress on future ecosystems.

For more information read following article,

https://scroll.in/article/949865/is-climate-change-turning-more-and-more-couples-away-from-the-idea-of-parenthood



आज ,

इंसान ,

"जंगल जलती हो तो जले ,मेन्नु की ,

  जानवर मरते हो तो मरे , मेन्नु की ,

  बाड़ आते हो तो आए , मेन्नु की ,

  ओले गिरते हो तो गिरे , मेन्नु की ,

  पेड़ कटते हो तो कटे , मेन्नु की ,

  नदियाँ सूखती हो तो सूखे , मेन्नु की ,

  मौसम बदलते हो तो बदले , मेन्नु की "|| 

कल ,

प्रकृति ,

"तू मरता हैं तो मर , मेन्नु की "|| 

आज इंसांनो ने समाधी बाँध रखी हैं ,

कल प्रकृति समाधी बाँधेगी || 

All the Best for the Worst.


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हे राम !

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