जंगल में पैदा हुए हैं ,
जंगल के पार जाना हैं |
बंदरों के बीच कूदते फांदते ,
गगन को छु जाना हैं |
मिट्टी का पुतला ले बैठें ,
उसे ऐसे तपाना हैं ,
माया के हर वार से ,
उसे कैसे बचाना हैं |
ऊचें ऊचें वृक्षों कि छाया ,
तमसा के समान हैं ,
तलाश हैं एक अखंड देव की ,
जिससे उसे जलाना हैं |
कुरुक्षेत्र कि युद्ध हम लड़ते ,
दुर्योधन को हराना हैं ,
जंगल में पैदा हुए हैं ,
बस एक सारथी का सहारा हैं |
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